असम एनआरसी; अवैध प्रवासियों के आंकड़ों पर मोदी सरकार | SC को बताया गया- 17861 विदेशियों को सिचुएशन दी, 5 साल में 14 हजार को वापस भेजा

नई दिल्लीएक मिनट पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 1966 से 1971 तक असम में बांग्लादेशी बौद्ध धर्मगुरु को दी गई नागरिकता का डेटा मांगा था।  - दैनिक भास्कर

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 1966 से 1971 तक असम में बांग्लादेशी बौद्ध धर्मगुरु को दी गई नागरिकता का डेटा मांगा था।

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि भारत में अवैध संपत्तियों का डेटा एकत्र करना संभव नहीं है। विदेशी नागरिक भारत में चोरी-छिपे घुसते हैं। इनका पता लगाना, रजिस्ट्रेशन में लेना और बाहर निकालना काफी मुश्किल है।

यूक्रेन, सुप्रीम कोर्ट असम में अवैध संबंधों से जुड़ी सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए से जुड़ी 17 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। इस मामले में 7 दिसंबर को पिछली सुनवाई हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 11 दिसंबर से 1 जनवरी 1966 तक 25 मार्च 1971 तक असम में बांग्लादेशी स्टार्स को दी गई नागरिकता का डेटा मांगा था। इस केंद्र पर आज फिडेविट की नियुक्ति हुई।

केंद्र ने बताया कि अब तक 17,861 विदेशियों को भारत की नागरिकता दी जा चुकी है। वहीं 2017 से 2022 के बीच 14,346 विदेशियों को उनके देश वापस भेजा गया।

32 हजार से ज्यादा विदेशियों की पहचान
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल आदेश 1964 के तहत 1966-1971 के बीच 32,381 लोगों की पहचान विदेशियों के रूप में की गई है। असम में 31 अक्टूबर, 2023 तक 100 फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल काम कर रहे हैं। इनमें 3.34 लाख से अधिक मामलों का भुगतान किया गया है। अभी भी 97,714 एसएएस अपॉइंटमेंट हैं।

सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच कर रही सुनवाई
असम में अवैध को नागरिकता अधिनियम से जुड़ी कानूनी जानकारी पांच जजों की बेंचों पर जमा की जा रही है। इस बेंच में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जस्टिस सुंदरेश, जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं।

क्या कहता है सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए
असममित के तहत भारत में आने वाले लोगों की नागरिकता से संबंधित एक विशेष प्रस्ताव के रूप में नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए में जोड़ी बनाई गई थी। जिसमें कहा गया है कि जो लोग 1985 में बांग्लादेश सहित क्षेत्र से 1 जनवरी 1966 या उसके बाद लेकिन 25 मार्च 1971 से पहले असम आए थे और तब से वहां रह रहे हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए धारा 18 के तहत अपना नामांकन दाखिल करना है। होगा।

परिणाम, इस प्रोविज़ ने असम में बांग्लादेशी विश्वविद्यालय को नौकरी की अंतिम तिथि 25 मार्च 1971 तय कर दी।

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सुप्रीम कोर्ट में सिटीजनशिप एक्ट, 1955 के खंड 6ए की अपील पर बुधवार (6 दिसंबर) को सुनवाई हुई थी। सुनवाई में वकील कपिल सिब्बल ने दावा किया कि यह असम का हिस्सा है।

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कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो बताता हो कि 1966 से 1971 के बीच बांग्लादेशी स्मारक पर भारतीय सभ्यता का असर असम की संस्कृति और सांस्कृतिक पहचान पर पड़ा था। पूरी खबर पढ़ें…

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