अर्नोल्ड डिक्स ने कहानी कहने के अंदाज में बताई बचाव की कहानी, आनंद महिंद्रा | आनंद महिंद्रा बोले- ये हमारी संस्कृति, आज हमें मास्टर क्लास दे रहे हैं

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नई दिल्ली3 मिनट पहले

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बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा ने उत्तरकाशी टनल में स्टिक 41 के जर्नल ऑस्ट्रेलिया के माइक्रो टैनलिंग स्टूडेंट अर्नोल्ड डिक्स का एक वीडियो एक्स पर शेयर किया है। वीडियो में अर्नोल्ड की कहानी सुनने के अंदाज में एक पत्रकार के बारे में जानकारी दी गई।

अर्नोल्ड कह रहे हैं – ‘माउंटेन से पूछा गया कि आप हमारे बच्चों को क्या वापस दे सकते हैं। जवाब में माउंटेन ने कहा कि- शायद… मुझे माफ करना’ इसके बाद भी हमने माउंटेन को खोदना जारी रखा। जैसे ही हमें लगा कि हम शैतान तक पहुँच गए हैं। फिर कोई न कोई सामने बाधा आ जाता है।

इस पर आनंद महिंद्रा ने कहा कि स्टोरी टेलिंग हमारी संस्कृति में हैं, लेकिन हमें उस स्टडी को नया रूप देने की जरूरत है। आज हमें एक ऑस्ट्रेलियाई मास्टर क्लास के बारे में बताया जा रहा है।

अर्नोल्ड डिक्स ने प्रतिमा ऑपरेशन की जानकारी देते हुए कहा- यह ऐतिहासिक ऑपरेशन है, एक पहाड़ में 41 मजदूर फंस गए। वे लोग थे, काम करने वाले लोग अच्छे थे, चाहने वालों ने कुछ भी ग़लत नहीं किया। हमने उन्हें सुरक्षित बाहर से लिफ्ट का समर्थन दिया। मशीनरी में पाइप मॉड्यूल में उन्हें खाना और पानी के नमूने का डिजाईन किया जाता है, सलाह दी जाती है।

कुछ ही देर में श्रमिक जुटाव बाहर
उत्तराखंड की मिर्ज़ामाइरा-डंडालगांव टनल में 12 नवंबर से ज़ोइक 41 मिर्ज़ामैन को आउट स्ट्रेंथ का काम जारी है। सूर्यास्त रात भर चल सकता है। पाइप तक पहुँचने में बस कुछ ही दूरी बाकी है। इसके बाद गणतंत्र बनाया जाएगा। इसके बाद 16 दिन से विचित्र 41 मूर्ति को टनटल से बाहर लाया जाएगा।

ऐसे चले जाओ मजदूर

नेशनल डिज़ास्टर एसोसिएट्स इंफ्रास्ट्रक्चर (एनडीएमए) के सदस्य के लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैय्यद अता हसनैन ने बताया- खुदाई का काम पूरा होने के बाद टनल में पाइप तक भव्य निर्माण किया जाएगा।  रिन्यूएबल बनने में अगर मशीन ऐ तो छड़ी मिलेगी।  इस तरह की मूर्तियों को पाइप तक सुरक्षित रखा जा सकता है।  पाइप में अचयनित पर लिथुआनिया और यूरोप के ईसाइयों को लिटाया पर लिटाया को खींचकर उन्हें आउट आउट किया गया।  एक मजदूर को टनल से बाहर निकालने में 3 से 5 मिनट का उत्खनन।

नेशनल डिज़ास्टर एसोसिएट्स इंफ्रास्ट्रक्चर (एनडीएमए) के सदस्य के लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैय्यद अता हसनैन ने बताया- खुदाई का काम पूरा होने के बाद टनल में पाइप तक भव्य निर्माण किया जाएगा। रिन्यूएबल बनने में अगर मशीन ऐ तो छड़ी मिलेगी। इस तरह की मूर्तियों को पाइप तक सुरक्षित रखा जा सकता है। पाइप में अचयनित पर लिथुआनिया और यूरोप के ईसाइयों को लिटाया पर लिटाया को खींचकर उन्हें आउट आउट किया गया। एक मजदूर को टनल से बाहर निकालने में 3 से 5 मिनट का उत्खनन।

टनल के अंदर अस्पताल बनाया गया
टनल के इनसाइड एम्बुलेंस के अलावा ग्राहक और अतिथि सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। यहां बनाया गया है हॉस्पिटल। छवि के बाद अविश्वासी को यही रखा जाएगा। इसके बाद 30-35 KM दूर चिन्यालीसौड़ ले जाया जाएगा। जहां बनाया गया है 41 बेड का स्पेशल हॉस्पिटल।

चिन्यालीसौड हवाईअड्डे पर चिनूक हेलीकॉप्टर की स्थापना की गई थी, जिससे किसी भी श्रमिक को नशे की लत से बचाया जा सके, इसलिए तुरंत ही उन्हें एम्स भेजा गया। लेकिन चिनूक रात में उड़ान भरकर नहीं, ऐसे में उन्हें एम्बुलेंस से ही ले जाना होगा।

टनटल के अंदर बने छोटे अस्पताल में पहले मजूदरों का ट्रायल होगा, इसके बाद पास के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाएंगे।

टनटल के अंदर बने छोटे अस्पताल में पहले मजूदरों का ट्रायल होगा, इसके बाद पास के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाएंगे।

21 घंटे में 12 मीटर की खुदाई
इससे पहले, मियामीरा साइड से हॉरिजॉन्टल कास्टिंग में लगे रैट माइनर्स, दुर्घटना के 17वें दिन दोपहर 1.20 बजे पूरी तरह से पाइप से उड़ान भरी गई। उन्होंने 21 घंटे में 12 मीटर की आदर्श स्थापना की। 24 नवंबर को 12 मीटर पहले मूर्ति की मूर्ति से 12 मीटर पहले ऑगर मशीन टूट गई थी। जिस पर फोटो अपलोड किया गया था।

इसके बाद सेना और रैट माइनर्स को बाकी के लिए नामांकित किया गया था। मंगलवार की सुबह 11 बजे, जब एलर्ट ने कहा कि उनके कपड़े और बैग तैयार रहें। जल्द ही एक अच्छी खबर आने वाली है।

एसडीआरएफ की टीम के सदस्यों को लेकर टनटल के इनसाइडर में शामिल होने के लिए मृत वीडियो।

एसडीआरएफ की टीम के सदस्यों को लेकर टनटल के इनसाइडर में शामिल होने के लिए मृत वीडियो।

रैट माइनर्स ने 21 घंटे में 12 मीटर की लॉन्चिंग पूरी की, देखें 3 तस्वीरें…

रैट माइनर्स ने टनल के अंदर से कुछ इस तरह की छोटी फावड़े से मिट्टी निकाली।

रैट माइनर्स ने टनल के अंदर से कुछ इस तरह की छोटी फावड़े से मिट्टी निकाली।

फिल्म्यारा टनल में 27 नवंबर को फ्लॉपी ऑगर मशीन की ब्लेड लॉन्च की गई।

फिल्म्यारा टनल में 27 नवंबर को फ्लॉपी ऑगर मशीन की ब्लेड लॉन्च की गई।

टनल में पाइप के अंदर से नामांकित करके जो मालबा इकट्ठा हुआ, उसे यह ट्रॉली बाहर निकाल दी गई।  इसे एक बार में 2.5 ग्रेट मालबा आउट किया गया।

टनल में पाइप के अंदर से नामांकित करके जो मालबा इकट्ठा हुआ, उसे यह ट्रॉली बाहर निकाल दी गई। इसे एक बार में 2.5 ग्रेट मालबा आउट किया गया।

अब तक क्या हुआ?

27 नवंबर: दोपहर 3 बजे मियामीरा की तरफ से 13.9 मीटर लंबी ओगर मशीन के टुकड़े निकाले गए। देर शाम तक ऑगर मशीन का हेड भी स्क्रैप से निकाल लिया गया। इसके बाद रैट माइनर्स ने नामकरण की शुरुआत कर दी। रात 10 बजे तक पाइप को 0.9 मीटर तक बढ़ाया गया। साथ ही 36 मीटर वर्टिकल सेटअप हो गया था।

26 नवंबर: उत्तरकाशी की मस्जिद्यारा टनल में झील 41 मठों को बाहर निकालने के लिए पहाड़ की चोटी से वर्टिकल की शूटिंग शुरू हो गई है। रात 11 बजे से 20 मीटर तक खुदाई हुई। वर्टिकल इंस्टॉलेशन के तहत पहाड़ में ऊपर से नीचे की तरफ बड़ा होल बनाकर रास्ता बनाया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा- अगर कोई अनुशासनात्मक नहीं है तो हम 100 घंटे यानी 4 दिन में बाइबिल तक पहुंचेंगे।

25 नवंबर: शुक्रवार को ऑगर मशीन बिल्डर के अवशेष का काम शनिवार को भी रुका रहा। इंटरनेशनल टनलिंग पार्टनर्स अर्नाल्ड डिक्स ने कहा है कि अब ऑगर से टेस्टिंग नहीं होगी, न ही दूसरी मशीन इंट्रोड्यूस की जाएगी।

अन्य चार लोगों की मदद के लिए बाहर निकलें। बी प्लान के तहत टनल के ऊपर से वर्टिकल स्टार्टअप की तैयारी हो रही है। एनडीएमए का कहना है कि अब तक करीब 86 मीटर की खुदाई की जाएगी।

24 नवंबर: सुबह कास्टिंग का काम शुरू हुआ तो ऑगर मशीन के रास्ते में स्टील के पाइप आ गए, जिसमें पाइप मुड़ गए। स्टील के पाइपों और टनल में डाले जा रहे पाइपों के हिस्सों को बाहर निकाल दिया गया है। ऑगर मशीन भी खराब हो गई थी, उसे भी ठीक कर लिया गया।

इसके बाद ऑगर मशीन के लिए कास्टिंग फिर से शुरू हो गई, लेकिन टेक्निकल ग्लिच की स्टॉक टीम को ऑपरेशन में मदद मिली। उधर, एनडीआरएफ ने मॉक प्रोजेक्ट के लिए अमूर्त को तैयार किया है।

23 नवंबर: अमेरिकी ऑगर मशीन थ्री बार रोकनी पोस्ट। देर शाम विज्ञापन के तेज कूल होने से मशीन का मंच धंस गया। इसके बाद अगले दिन सुबह तक लॉन्चिंग पर रोक लगा दी गई। इससे पहले 1.8 मीटर की लॉन्चिंग हुई थी।

22 नवंबर: अंयथार्थ, उदित और बिजनेसमैन को डेस्टिनेशन में सफलता मिली। मॉस्कोयारा की तरफ से ऑगर मशीन से 15 मीटर की कीमत तय की गई। 41 सार्जेंट की दुकान के बाहर की मूर्ति। दार्शनिकों की टीम को टनल के पास स्थापित किया गया। चिल्यानियासौद में 41 बेड का हॉस्पिटल तैयार किया गया।

21 नवंबर: एंडोस्कोपी के माध्यम से अंदर भेजा गया कैमरा और पहली बार देखी गई मूर्ति की तस्वीरें आई। उनकी बात भी कही गयी. सभी मजदूर ठीक हैं। बाइबिल तक 6 इंच की नई पाइपलाइन के माध्यम से खाना पकाने में सफलता मिली। ऑगर मशीन से लॉन्चिंग शुरू हुई।

केंद्र सरकार की ओर से 3 पदनाम नामांकन जारी किये गये। पहला- ऑगर मशीन के सामने 2 से 3 दिन का रिवाइवल नहीं था। दूसरा- टनल की ओर से खोदाई करके 10-15 दिन के उत्खनन में नहरों को खोदना। तीसरा- डंडालगांव से टनल खोदने में 35-40 दिन।

21 नवंबर को पहली बार टनल के अंदर 6 इंच की पाइप के जरिए एंडोस्कोपिक कैमरा भेजा गया था।  पहली बार 41 मूर्तियाँ देखीं।  इसी पाइप से किताब खाना और जरूरी सामान भेजा जा रहा है।

21 नवंबर को पहली बार टनल के अंदर 6 इंच की पाइप के जरिए एंडोस्कोपिक कैमरा भेजा गया था। पहली बार 41 मूर्तियाँ देखीं। इसी पाइप से किताब खाना और जरूरी सामान भेजा जा रहा है।

20 नवंबर: इंटरनेशनल टनलिंग रॉकेट्स ऑरनाल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी इंस्टॉलेशन का सर्वेक्षण और वर्टिकल इंस्टॉलेशन के लिए 2 स्पॉट फाइनल किए। 6 इंच की नई पाइपलाइन के लिए बाइबिल को खाना देने की जानकारी मिली। ऑगर मशीन के साथ काम कर रहे मूर्ति के लिए छवि टनल बनाई गई। बीआरओ ने प्लास्म्यारा के पास वर्टिकल डिजाइन के लिए सड़क बनाने का काम पूरा कर लिया है।

19 नवंबर: सुबह के समय केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी उत्तरकाशी के दौरे पर गए और लोगों की छुट्टी ले ली गई। शाम चार बजे प्लामिक्यारा एंड सेस्टैम्पटिंग शुरू हुई। खाना पकाने के लिए एक और टनल बनाने की शुरुआत हुई। टनल में जहां से मालबा गिरा है, वहां से छोटा रोबोट श्रमिक भोजन या रिजर्व टनल बनाने का प्लान बनाया गया।

18 नवंबर: निजीकरण का काम रुका रहा। खाने की कमी से बेरोजगारी की शिकायत की। पीएमओ के सलाहकार भास्कर खुल्बे और डिप्टी कंसल्टेंट मंगेश घिल्डियाल उत्तरकाशी। पांच स्थानों से स्थापना की योजना बनी।

17 नवंबर: सुबह की दो दवाइयाँ। उन्हें दवा दी गई। दोपहर 12 बजे हैवी ऑगर मशीन के रास्ते में पत्थर आगमन से रुकी। मशीन से टनल के अंदर 24 मीटर पाइप डाले गए। नई ऑगर मशीन को रात में इंदौर से गोपाल डिपो, जहां उत्तरकाशी के लिए भेजा गया था। रात में टनटल के दूसरी जगह से ऊपर से विचित्र लोगों को निकालने के लिए सर्वेक्षण किया गया।

16 नवंबर: 200 हॉर्स पावर वाली हैवी अमेरिकन कॉस्टिंग मशीन ऑगर का पूरा हुआ। शाम 8 बजे से वास्तुशिल्प शुरू हुआ। रात में टनल के अंदर 18 मीटर पाइप लगाए गए। मुख्यमंत्री पुस्र्ष सिंह धामी ने प्रतिष्ठा ऑपरेशन की समीक्षा बैठक की।

15 नवंबर: ऑगर मशीन के कुछ देर बाद अविष्कार ऑपरेशन के तहत कुछ तत्व खराब हो गए। टनटल के बाहर लाइब्रेरी के फ्लोरी की पुलिस से कीमतें हुई। वे अवकाश ऑपरेशन में देरी से नाराज़ थे। पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली से एयरफोर्स का हरक्यूलिस विमान हेवी ऑगर मशीन लेकर चिल्यानीसौद हेलीपैड पहुंच गया। ये प्लांट विमान में ही फंस गया, जिसमें तीन घंटे बाद निकल कर जा सका।

14 नवंबर: टनल में कॉन्स्टेंट मिट्टी धंसने से नॉर्वे और अनुयायियों के स्नातकों की सलाह ली गई। ऑगर प्रशिक्षण मशीन और पर्यवेक्षक जैक को काम पर रखा गया। लेकिन लगातार मलबा आने से 900 वर्ष की आयु करीब 35 इंच मोटी पाइप असेंबली को आउटर स्ट्रेच का प्लान बनाया गया। इसके लिए ऑगर लॉन्चिंग मशीन और डेमोक्रेट जैक की मदद ली गई, लेकिन ये मछलियां भी खत्म हो गईं।

13 नवंबर: शाम तक टनल के अंदर से 25 मीटर तक मिट्टी के अंदर पाइप लाइन डाली गई। कंपनी मालबा आने से 20 मीटर बाद ही काम लाभ प्राप्त हुआ। कंसिस्टेंसी और खाना-पानी के माध्यम से पाइपों के निर्माण की शुरुआत हुई।

12 नवंबर: सुबह 4 बजे टनल में मलबा गिरना शुरू हुआ तो शाम 5.30 बजे तक मेन गेट से 200 मीटर तक भारी मात्रा में पानी जमा हो गया। टनल से पानी के निकास के लिए पाइप से ऑक्सीजन, दवा, भोजन और पानी अंदर भेजा गया। बचाव कार्य में एनडीआरएफ, आईटीबीपी और बीआरओ को शामिल किया गया। 35 हॉर्स पावर की ऑगर मशीन से 15 मीटर मालबा तक हटाई गई।

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