अरुण योगीराज; रामलला मूर्ति मूर्तिकार | अयोध्या राम मंदिर | रामलला की आंख सोने-आराम के हथौड़े-छेनी से झांकी: अरुण योगीराज ने शेयर की तस्वीर; लिखा- दिव्य आंखों को उकेरा से मदद की गुहार

बैंगलोर6 मिनट पहले

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अरुण योगीराज ने सोशल प्लेटफॉर्म मीडिया एक्स पर सिल्वर के हथौड़े और सोने की चेन की तस्वीर शेयर की है।  - दैनिक भास्कर

अरुण योगीराज ने सोशल प्लेटफॉर्म मीडिया एक्स पर सिल्वर के हथौड़े और सोने की चेन की तस्वीर शेयर की है।

अयोध्या में रामलला की मूर्ति बनाने वाले भगवान गणेश के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक हथौड़े और चेनी की तस्वीर शेयर की है। योगीराज ने बताया कि इसी हथौड़े और चेनी से वे रामलला की झांकियां हैं।

अरुण योगीराज ने अपनी पोस्ट में लिखा- इस चांदी की हथौड़ी और सोने की चेन का उपयोग करके मैंने रामलला का दिव्य दर्शन किया। इसे व्यक्तिगत रूप से साझा वितरण के साथ खरीदा।

अयोध्या में 22 जनवरी को अरुण योगीराज की निर्मित रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इससे 3 दिन पहले 20 जनवरी को रामलला की पहली तस्वीर सामने आई थी। हालाँकि, तब कपड़ों से उनकी ‘ओक्सामेट्री’ बनी थी।

प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रामलला की पहली बार प्रस्तुति हुई। इसके बाद लोगों ने अरुण योगीराज की भव्यता को बताया। योगीराज ने काले रंग की एक ही पत्थर से पूरी मूर्ति बनाई है। पत्थर को कहीं से जोड़ा नहीं गया है।

बच्चों की 2000 फोटो अवलोकन, टैब निर्मित रामलला की प्रतिमा
अरुण योगीराज की पत्नी विजेता ने भास्कर को बताया कि जब योगीराज को रामलला की मूर्ति बनाने का काम मिला, तो उन्होंने बच्चों की 2000 से ज्यादा तस्वीरें देखीं। महीनों तक बच्चों को ऑब्जर्व करते रहे। उनकी मासूमियत देखने के लिए स्कूल, समर कैंप, पार्क जाने लगे। वहाँ कई-कई घंटे तक बच्चों को प्रतियोगिता करते देखा गया।

विजेता ने बताया कि अरुण ने इस बात का ध्यान रखा कि सभी शिल्प शास्त्र के अनुसार बात हो। साथ ही रामलला की मूर्ति के आसपास के डिजाइन से लेकर मेल खाना और निर्माण के साथ उभरकर सामने आना चाहिए। प्रतिमा में लोगों को भगवान के दर्शन करने चाहिए।

छोटे से गांव में मिले पत्थर से बनी रामलला की प्रतिमा
श्री राम जन्मभूमि तीर्थराज क्षेत्र के ट्रस्ट के सदस्य और उडुपी के संत विश्वप्रसन्न तीर्थ स्वामी ने बताया कि अरुण योगी ने रामलला की मूर्ति को भगवान के रूप में काले पत्थर से तैयार किया है। यह करकला के नेल्लिकारू गांव से अयोध्या ले जाया गया। यह पत्थर पवित्र माना जाता है, इसलिए दक्षिण भारत में इसी तरह से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई गई हैं।

रामलला की 4.25 मूर्ति में उनके 5 साल के बाल स्वरूप हैं। रामलला के पत्थर से बने कमल का चित्र दिखाया गया है। मूर्ति पर विष्णु के 10 अवतार, ॐ, स्वस्तिक, शंख-चक्र भी विद्यमान हैं।

पीएम मोदी भी कह चुके हैं योगी के काम की महिमा

अरुण योगीराज ने इंडिया गेट पर स्टैच्यूएपिटेड फ्रेमवर्क सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी बनाई है।

अरुण योगीराज ने इंडिया गेट पर स्टैच्यूएपिटेड फ्रेमवर्क सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी बनाई है।

37 साल के अरुण योगीराज मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं। उन्होंने 2008 में मैसूर यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। फिर एक निजी कंपनी के लिए काम किया। इसके बाद उन्होंने प्रतिमा बनाने का काम शुरू किया। उन्हें बचपन से मूर्तियाँ बनाने का शौक था।

अरुण योगीराज ने ही जगद्गुरु पितृ पक्ष की भव्य प्रतिमा का निर्माण कराया था, जिसे स्थापत्य में स्थापित किया गया है। 2022 पर प्राप्त करें 2022 में स्कोडापिटापिटाई सामग्रियां सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी अरुण इंडिया ने ही बनाई है। पीएम मोदी भी अपने काम के शौकीन हैं।

तीन प्रतिमाओं का चयन किया गया
अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की 3 प्रतिमाएं बनाई गईं। त्रि की लंबाई 51-51 इंच है। त्रिमूर्ति प्रतिमाओं में कमल आसन पर रामलला के 5 वर्ष के बाल स्वरूप को सूचीबद्ध किया गया है।

राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली प्रतिमा का चयन 31 दिसंबर को किया गया था। 29 दिसंबर को हुई बैठक के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टियों के सभी सदस्यों ने अपनी मत पर 3 प्रतिमाएं लिखित रूप में ज्वालामुखी चंपत राय को दी थीं।

अरुण योगीराज के अलावा दो और प्रतिमाएं कॉलेज के भट्ट और राजस्थान के सत्यनारायण गणेश पंडित ने तैयार की हैं। सत्यनारायण भगवान की निर्मित प्रतिमा संगमरमर की है। इन दोनों प्रतिमाओं को राम मंदिर में ही स्थापित किया गया है।

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रामलला की दो और प्रतिमाएं सामने आईं: एक श्यामल रंग की और दूसरी सफेद संगमरमर की

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त्रिमूर्ति प्रतिमाओं में कमल आसन पर भगवान का दर्शन किया गया है। भगवान के 5 साल के बाल स्वरूप को तीर्थ में ही सूचीबद्ध किया गया है। रामलला के स्थान पर भगवान राम की दोनों प्रतिमाओं को राम मंदिर में ही स्थापित किया गया है। पूरी खबर पढ़ें…

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