अमित शाह पर असदुद्दीन ओवैसी; नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) | लोकसभा चुनाव | बोले- CAA को धर्म का आधार बनाया गया: मकसद मुस्लिम-दलितों को परेशान करना, हम कानून का विरोध करते हैं

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राज13 मिनट पहले

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फाइल फोटो- दैनिक भास्कर

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हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार (11 फरवरी) को कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) धर्म का आधार है। इसका उद्देश्य मुस्लिमों, दलितों और गरीबों को करना है। एआईएमआईएम हमेशा इसके खिलाफ रहती है और इसका विरोध जारी है।

दरअसल, गृह मंत्री अमित शाह ने 10 फरवरी को कहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले देश में CAA लागू होगा। गृह मंत्री ने कहा कि हमारे देश के अल्पसंख्यकों पर मुसलमानों को भड़काया जा रहा है। CAA किसी की नागरिकता नहीं छीन सकता, क्योंकि इसमें ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं है।

शाह ने कोलकाता में कहा- CAA को लागू होने से कोई रोक नहीं सकता
पिछले साल दिसंबर में कोलकाता में एक रैली के दौरान भी गृह मंत्री ने कहा था कि सीएए को लागू होने से कोई रोक नहीं सकता है। शाह ने आतंकवादी, गुलाम, राजनीतिक हिंसा और तुश्तकारी के कब्जे पर मोहम्मद इब्राहिम का कब्जा कर लिया था। उन्होंने लोगों से ममता सरकार को बंगाल से हटाने और 2026 विधानसभा चुनाव में भाजपा को बढ़ावा देने का आग्रह किया था।

वहीं, 12 दिन पहले केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा था कि मैं गारंटी देता हूं कि 7 दिन में नागरिक संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू हो जाएगा। बनगांव से भाजपा के न्यूनतम ठाकुर दक्षिण 24 परगना के काकाद्वीप में एक रैली को प्रदर्शित कर रहे थे।

शांतनु ठाकुर ने कहा कि पश्चिम बंगाल में ही नहीं, अगले 7 दिनों के अंदर CAA लागू हो जाएगा।

शांतनु ठाकुर ने कहा कि पश्चिम बंगाल में ही नहीं, अगले 7 दिनों के अंदर CAA लागू हो जाएगा।

2019 में लोकसभा-राज्यसभा से बिल पास हो गया
11 दिसंबर 2019 को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीएबी) के पक्ष में 125 और विपक्ष में 99 वोट पड़े थे। अगले दिन 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। मूल में भारी विरोध के बीच बिल दोनों सदनों के पास होने के बाद कानून की शक्ल ले चुका था। इसे राइटर अमित शाह ने 9 दिसंबर को कॉम में पेश किया था।

1955 के कानून में किये गये बदलाव
2016 में सिकायत संशोधन फैक्ट्री 2016 (CAA) पेश किया गया था। 1955 के कानून में कुछ बदलाव किये गये। ये बदलाव थे, भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम आबादी को नागरिकता देना। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय समिति का पास भेजा गया। समिति ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट दी थी।

विरोध में गाली-गलौज में 50 से ज्यादा बार देखा गया
लोकसभा में पहले भी ये बिल विवाद था, लेकिन जब ये कानून बना तो इसके बाद इसका विरोध और तेज हो गया। दिल्ली के कई इलाक़ों में प्रदर्शन हुए। 23 फरवरी 2020 की रात जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर भीड़ के जमावड़े के बाद भड़की हिंसा, प्रदर्शनकारियों में दहशत हो गई।

देश के कई सिद्धांतों में कोचिंग संशोधन कानून का जोरदार विरोध हुआ और आंदोलनकारियों ने केंद्र से इसे वापस लेने की मांग की।

देश के कई सिद्धांतों में कोचिंग संशोधन कानून का जोरदार विरोध हुआ और आंदोलनकारियों ने केंद्र से इसे वापस लेने की मांग की।

चार राज्यों में CAA के विरोध में प्रस्ताव पारित हो चुका है
सीएए बिल के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद 4 राज्यों में इसके विरोध विधानसभा में प्रस्ताव पारित किए गए हैं। सबसे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने दिसंबर 2019 में सीएए के खिलाफ अपना प्रस्ताव पेश करते हुए कहा था कि यह सबसे पहले नजरिया और देश के खिलाफ बने हैं। इसमें नागरिकता शास्त्र से धर्म के आधार पर भेदभाव होगा।

इसके बाद पंजाब और राजस्थान सरकार ने विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। चौथा राज्य पश्चिम बंगाल था, जहां इस बिल के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया था। पश्चिम बंगाल के सीएम ने कहा- बंगाल में हम सीएए, एनपीआर और एनआरसी नहीं लाएंगे.

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