7 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल भास्कर, दैनिक भास्कर
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तीन राज्यों में मुख्यमंत्री चयन के लंबे इंतजार के बाद सहने के लिए मिली भारी पीड़ा के बाद भाजपा के चयन में कशमकश बढ़ गई है। नए और एक-दो बार के नेता तो उत्साहित हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि जब राजस्थान में पहली बार कोई नेता मुख्यमंत्री बन सकता है तो वे मंत्री क्यों नहीं बन सकते? छत्तीसगढ़ की बात बाकी दो राज्यों से अलग क्यों है कि वहां के मुख्यमंत्री विष्णुदेव सीनियर हैं और उनके महल में किसी को गुरेज शामिल नहीं होंगे। मध्य प्रदेश और राजस्थान में स्थितियाँ अनुकूल नहीं हैं। विशिष्टकर उन सभी बुजुर्गों को जो किसी भी रूप में मुख्यमंत्री पद के लिए नियुक्त किये जा रहे थे।
![सीएम के रूप में अपने नाम की घोषणा के बाद मोहन यादव ने शिवराज सिंह चौहान की पैरवी का आशीर्वाद लिया था।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/16/giff-21702294898_1702695730.gif)
सीएम के रूप में अपने नाम की घोषणा के बाद मोहन यादव ने शिवराज सिंह चौहान की पैरवी का आशीर्वाद लिया था।
और कहे भी नहीं जा रहे थे तो कम से कम खुद को इस पद के लिए मान तो रहे ही थे। कोड में खाज ये हुई कि जिन सांसदों के वे सदस्य थे, वहां से पहले ही इस्तिफावा लिया गया था। अब करें तो क्या करें? नये मुख्यमंत्री के आगे झुकने से तो रहे! फिर उस हेकड़ी का क्या करें जो वर्षों के राजनीतिक जीवन में पल पोष कर बड़ा हुआ है? मध्य प्रदेश में प्रह्लाद पटेल, कैलाश विजय ग्रेडी, वीडी शर्मा, राकेश सिंह जैसे कई नाम हैं जो हो सकता है कि महोत्सव में शामिल होकर मना कर दें।
खैर वीडियो शर्मा तो अभी पार्टी अध्यक्ष बने हैं इसलिए उनकी और तो बच जाएंगी, लेकिन वह भी कब तक? बाकी बुजुर्गों का क्या होगा? कैलास विजयवर्गीय तो जाने कब से मुख्यमंत्री की कुर्सी, देखिये पूजा-पाठ कर रहे हैं। रिश्तेदारों का नंबर ही नहीं आ रहा। प्रह्लाद पटेल तो जोश-जोश विधानसभा के दिग्गजों तक को मिले थे, उनके दुख का तो कोई सहारा ही नहीं है। सोचा जा रहा है कि कोई पहले ही कह देता है कि चुनाव जरूर लड़ रहे होंगे लेकिन मुख्यमंत्री शांत नहीं होंगे। कम से कम केंद्र के पुराने पद के प्रतिष्ठा प्रतिष्ठा तो ढँकी रहती है!
![सीएम के शपथ ग्रहण समारोह में वसुन्धरा राजे ने भजनलाल के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। इसके बाद भजनलाल ने वसुन्धरा को मिठाई खिलाई।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/16/v-b1702637624_1702694898.gif)
सीएम के शपथ ग्रहण समारोह में वसुन्धरा राजे ने भजनलाल के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। इसके बाद भजनलाल ने वसुन्धरा को मिठाई खिलाई।
पूर्वी राजस्थान में भी कुछ मूर्तिकला, पूर्व केन्द्रीय मँगवा के यही हाल हैं। बाबा वैद्यनाथ प्रोटोटाइप चर्चा सबसे अधिक थी, अब टीवी पर दिखाई तक नहीं दे रहे हैं। अचानक गायब हो गया। वे समझ रहे थे कि जब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में एक योगी मुख्यमंत्री बन सकता है तो मैं राजस्थान की उस गद्दी पर क्यों नहीं बैठ सकता? अब न गद्दी खाली रही और न ही बाबा का कोई नाम लेने वाला बचा। एक हवा महल वाले बाबा ने तो शपथ लेने से पहले ही नॉन वेज़ की नोटबंदी को हटा दिया था।
मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री होते ही वे भी शांत हो जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार कई नेताओं के कई संकेत दिए हैं। अब तो हर राज्य में जहां बीजेपी जीतेगी, उनके नेता सबसे पहले मीडिया के पास ये अर्ज करने वाले हैं कि भैया कुछ भी करना चाहते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री या मंत्री की सूची में नाम मत चलाओ, सबसे पहले पत्ता हमारा ही कटेगा।