अनुच्छेद 370 निर्णय; जस्टिस संजय किशन कौल | मानवाधिकार उल्लंघन | जस्टिस कौल ने कहा- राज्य में सेना के जवानों ने भारी कीमत चुकाई

  • हिंदी समाचार
  • राष्ट्रीय
  • अनुच्छेद 370 निर्णय; जस्टिस संजय किशन कौल | मानवाधिकार का उल्लंघन

नई दिल्ली40 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने जो अनुभव किया है, उससे मुझे दुख होता है।  - दैनिक भास्कर

जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने जो अनुभव किया है, उससे मुझे दुख होता है।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जज नियुक्त किया है। पांच जजों की बेंच में शामिल जस्टिस संजय किशन कौल ने मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच में अपने जजमेंट पेश किए। उन्होंने कहा- मैं एक समिति का समर्थन करता हूं, जो 1980 के बाद जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करता हूं और इसकी रिपोर्ट पेश करता हूं।

जस्टिस कौल ने कहा- 1980 में जम्मू-कश्मीर में पीएचडी पंडितों को गिरफ्तार किया गया था। इससे भारत की एकता और संप्रभुता खतरे में पड़ गई थी और स्थिति में सुधार के लिए सेना बुलाई गई थी। सेना की मौजदूगी से वहां के लोगों ने कई निशानों तक की भारी कीमत चुकाई है। वहां के लोगों ने अनुभव किया कि मैं उनसे मैं दुखी हूं।

जस्टिस कौल ने अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए केंद्र सरकार के फैसले पर कहा कि मेरा निर्णय भी वही है, जो मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ का है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव होना चाहिए। क्योंकि इलेक्शन ही डेमोक्रेसी की बुनियाद है। बता दें कि जस्टिस कौल खुद भी एक धार्मिक ब्राह्मण हैं।

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था।  इसके खिलाफ 23 पदों पर 5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया।

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था। इसके खिलाफ 23 पदों पर 5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अनुच्छेद 370 प्रोटोटाइप था। संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है कि जम्मू और कश्मीर भारत का सिद्धांत है। भारतीय संविधान के सभी प्रोविज़न वहां लागू हो सकते हैं।

कोर्ट ने आगे कहा, ‘हम अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए राष्ट्रपति के जारी आदेश को वैध मानते हैं।’ हम विपक्ष को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए दोषी ठहराए गए हैं।’ इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य में 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव के आदेश दिए।

केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को 370 को हटा दिया, इसकी 23 पोस्टें थीं
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अपने दूसरे अनुच्छेद 370 को ख़त्म कर दिया था। साथ ही राज्य को 2 सीमांत जम्मू-कश्मीर और इंडोनेशिया में बाँट दिया गया था। इसके सर्वोच्च न्यायालय में कुल 23 पदयात्राएँ हुई थीं। 5 जजों की बेंच ने सभी पट्टों की एक साथ सुनवाई की थी।

संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दिवा चंद्रचूड़, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। बेंच के सामने लगातार 16 दिन तक चली सुनवाई 5 सितंबर को खत्म हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के 96 दिन बाद केस पर फैसला सुनाया।

ये खबर भी पढ़ें…

पीएम बोले- 370 पर SC का ऐतिहासिक फैसला:गुलाम नबी ने कहा, उमर अब्दुल्ला ने कहा- संघर्ष जारी रहेगा

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को कहा – अनुच्छेद 370 परिभाषा प्रोविजन था।

संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है कि जम्मू और कश्मीर भारत का सिद्धांत है। भारतीय संविधान के सभी प्रोविज़न वहां लागू हो सकते हैं। पूरी खबर पढ़ें..

खबरें और भी हैं…

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *