अंधेर से लौटे सभी 41 मजदूर | अनिल बेदिया की मां बोली आंखों के सामने बेटा आएगा बिल्कुल ईमानदार, झारखंडी मजदूर एयरफिल्ट होगा

राँची10 मिनट पहले

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मजदूर अनिल बेदिया की मां ने बंटी मजदूर - दैनिक भास्कर

मजदूर अनिल बेदिया की मां ने बंटी मिठाई

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में छिपी सभी मूर्तियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। उनकी सेहत की जांच की जा रही है और अब उनकी घर वापसी की तैयारी की जा रही है। झारखंड सरकार में सबसे पहले सभी यात्रियों को हवाई यात्रा करने की तैयारी में शामिल किया गया है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, 24 घंटे के बाद राज्य के निवासियों को मना कर दिया जाएगा। रविवार को जैप आईटी के सीईओ भुवनेश प्रताप सिंह के साथ संयुक्त श्रमायुक्त राजेश प्रसाद उत्तरकाशी कलाकार थे। मेडिकल यूनिवर्सिटी से एयरलिफ्ट कर दिल्ली ले जाया जाएगा। यहां झारखंड भवन में उनके आश्रम की व्यवस्था की गई है। मूर्ति को फिर यहां से 30 नवंबर से लेकर 1 दिसंबर तक उनके गांव भेजा जाएगा।

बेटे के परिवार से बाहर आने की खबर नहीं सुन सके पिता, पिता से हुई मौत

श्रमिक भक्तू मुर्मू

श्रमिक भक्तू मुर्मू

पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया तट के बांकीशोल पंचायत के बहदा गांव निवासी भक्तू मुर्मू (29) के 70 वर्षीय पिता बासेत नीकी बारसा मुर्मू अपने बेटे के बाहर आने की खबर तक नहीं सुन सके और उनकी जान चली गई। 17 दिन से पिता इंतजार कर रहे थे कि उनका बेटा अब वापस आएगा। मंगलवार को एलॉटमेंट में उनका निधन हो गया। पुनर्मूल्यांकन के अनुसार सुबह 8:00 बजे नाश्ता करने के बाद बस्ते मुर्मू अपने दोस्त ठाकरा हांसादा के साथ आंगन में खाट पर बैठे थे। अचानक वह नीचे गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई। उनके तीन बेटे और तीन ही निधन के समय उनके पास नहीं थे। भक्तू मुर्मू का बड़ा भाई रामराय मुर्मू भी चेन्नई में खोजने के लिए। दूसरा भाई मंगलमू दूसरा गांव में मऊ का रहने वाला था।

अभी निगरानी में रखें गरीब मजदूर
उत्तरकाशी में ऑर्थोडॉक्स श्रमिक विभाग के संयुक्त श्रम आयुक्त साहा के उप-श्रमायुक्त राकेश प्रसाद ने कहा, “मनोवैज्ञानिक को 24 घंटे डॉक्टर की निगरानी में रखा जाता है।” स्वास्थ्य की पूरी जांच के बाद ही वापस लाया जाएगा। झारखंड सरकार ने विशेष टीम के कर्मचारियों की ताज़ा स्थिति की जानकारी भेजी थी। दूसरी ओर श्रम विभाग के काॅन्सीटल के संपर्क में था। अंधविश्वास से बातचीत की जा रही थी।

17 दिन बाद घर लौट रही हैं खुशियां

17 दिन बाद घर लौट रही हैं खुशियां

परिवार में अब मनेगी दिवाली
बच्चों के रिश्ते में बच्चे की वजह से इस साल परिवार ने ना दीपावाली मनायी ना छठ। जैसे ही बाइबिल के बाहर की जानकारी सामने आई तो पूरे गांव में खुशियों की लहर दौड़ गई। अवशेषों के घर कई लोग मिठाई लेकर प्रदेश हैं। अनिल बेदिया की मां ने कहा कि मुझे खुशी है कि बेटा बाहर चला गया लेकिन मैंने जबतक उसे अपनी आंखों से नहीं देखा। तब तक मेरे मन को तस्ली नहीं मिलेगी। राजेद्र बेदिया के पिता श्रवण बेदिया ने कहा, जब से प्यारे लोग कह रहे थे बस कुछ दिन और बस पहुंच गए। हमारे लिए सब्र का बांध टूटना शुरू हो गया था, लेकिन जैसे ही पता चला कि उसका बेटा बाहर निकल गया है और मुझे राहत की सांस मिली है। अब बस वो जल्द से जल्द हमारे पास लौट आएं। अब हम उसे कहीं बाहर नहीं जाने देंगे।

पिशाचिनी सोरेन के ट्वीट के तुरंत बाद

पिशाचिनी सोरेन के ट्वीट के तुरंत बाद

मुख्यमंत्री रसेल सोरेन ने क्या कहा
17 दिनों के बाद हमारे 41 वीर श्रमिक झारखंड में सुरक्ष की अनिश्चितता, अंधकार और कपकपाटी ठंड को मात देकर आज 17 दिनों के बाद जंगल स्मारक बाहर आए हैं। आप सभी की वीरता और साहस को सलाम। जिस दिन ये हादसा हुआ उस दिन दिवाली थी, मगर आपके परिवार के लिए आज दिवाली हुई है। आपके परिवार और समस्त देशवासियों के तटस्थ विश्वास और प्रार्थना को भी मैं नमन करता हूं। इस ऐतिहासिक और साहसिक कार्य को अंजाम देने में लगी सभी टीमों को हार्दिक धन्यवाद।
देश के निर्माण में किसी भी श्रमिक की भूमिका पर नज़र नहीं डाली जा सकती। प्रकृति और समय का पहिया बार-बार बता रहा है कि हमारी नियति और नीति में श्रमिक सुरक्षा और कल्याण महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

श्रम विभाग की टीम लीड शिखा लकड़ा

श्रम विभाग की टीम लीड शिखा लकड़ा

झारखंड सरकार की क्या है तैयारी
श्रम विभाग की टीम की प्रमुख शिखा लकड़ा ने कहा, मूर्ति को वापस लाने की तैयारी है। श्रमिक एक साथ जुड़ेंगे या उन्हें छोटे-छोटे समूह में ले जाएंगे, इसे लेकर अभी भी रणनीति बन रही है। विद्यार्थियों की स्वास्थ्य जांच में उनकी शोभा भी बढ़ेगी। उनकी सेहत की पूरी जांच के बाद ही उन्हें उनके गांव भेजा जाएगा। हम अपने अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं। हमारी कोशिश है कि पहले मजदूर अपने हॉस्टल से बात कर लें। संयुक्त अरब अमीरात इस वक्ता का इंतजार कर रहे थे। हम एक-एक इतिहासकार से संपर्क कर रहे हैं। हम भी कॉन्स्टेंटाइन के संपर्क में हैं।

झारखंड के 15 अविश्वासियों के ये हैं नाम

राँची ओरमांझी खंड के खेदाबेड़ा गांव के मजदूर अनिल बेदिया, राजदरबार बेदिया और सुकराम बेदिया
गिरिडीह बर्नी के सुधाकर वर्मा और विश्वजीत वर्मा
पश्चिमी सिंहभूम चक्रधरपुर मंदिर के चेलाबेड़ा गांव के महादेव नायक
खूंटी कर्रा खंड के गुम्बू गांव के निवासी विजय होरो, डुमरी गांव के निवासी चमरा मिर्ज़ा एवं मदुगामा गांव के निवासी गनपित होरो
पूर्वी सिंहभूम डुमरिया के मानिकपुर गांव के राकेश नायक, रंजीत लोहार, गुणाधर नायक, बांकीशोल गांव के समीर नायक, कुंडलुका गांव के भुक्तु मुर्मू और डुमरिया गांव के टिंकू सरदार

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