नई दिल्ली2 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र उपयोगों को एक समान समानताएं पेश करने को कहा था।
क्लासिकल स्टूडेंट को मुफ्त सैनिटरी पैड ग्लास की योजना लेकर नेशनल काउंसिलिंग की तैयारी शुरू कर दी गई है। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी। साथ ही आम लोगों की राय जानने के लिए कोर्ट से 4 सप्ताह का समय भी मांगा।
CJI दिवाई चंद्रचूड़ की अवतरण वाली पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि बच्चों को स्वच्छता के साथ जोड़ने की प्रक्रिया एक समान होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि देश के सभी सरकारी और आवासीय राष्ट्रीय विद्यालयों में लड़कियों की संख्या के हिसाब से शौचालय का निर्माण मॉडल तैयार किया जाए।
इस मामले में 10 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र उपयोगों को एक समान समझौते पर पेश करने की बात कही थी। इसके लिए कोर्ट ने 4 हफ्ते का समय दिया था। हालाँकि केंद्र यह मंजूरी 7 महीने बाद ड्राफ्ट कर पाया।

अंतिम आवेदन में लड़कियों को मुफ्त पैड की मांग की गई
सोशल बिजनेस जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश द्वार में लड़कियों की स्वास्थ्य सुरक्षा पर चिंता जताई थी। सूची में बताया गया था कि छात्रावास में रहने वाली समस्याओं के कारण कई लड़कियाँ स्कूल छोड़ रही हैं, क्योंकि उनके परिवार के पास पैड पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं और खाद्य पदार्थ खाने से उन दिनों स्कूल में परेशानी का कारण बनता है।
स्कूल में लड़कियों के लिए नहीं है फ्री पैड की सुविधा। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इतना ही नहीं, स्कूल में जूड पैड को डिस्पोजल करने की सुविधा भी नहीं है, इस कारण से भी गर्ल्स होटल्स स्कूल में नहीं जा पाते।
कोर्ट सुप्रीमो ने सैनिटरी पैडिंग मशीन का खर्चा मांगा
10 अप्रैल की सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारडीवाला की बेंच ने राज्यों और केंद्र के विद्यार्थियों से स्कूल में लड़कियों के शमाफिक और सैनिटरी पैड की पुरानी जानकारी भी लेकर रखी थी। साथ ही राज्यों और केंद्र के अल्ट्रासाउंड से सैनिटरी पैड और सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन के लिए खर्च का सामान देने को भी कहा गया था।
इसके बाद 24 जुलाई को सुनवाई के दौरान अदालत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को चेतावनी दी, केंद्र पर एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए अपना जवाब नहीं दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर वे 31 अगस्त तक जवाब नहीं देंगे तो चेतावनी देंगे।

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