गगनयान मिशन; महिला लड़ाकू पायलट और वैज्ञानिक भेजने पर इसरो | सोमन बोले- अगला मिशन 3 दिन का होगा; इसके पहले फ़ीमेल रोबोटिक संरचना

श्रीहरिकोटा3 मिनट पहले

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इसरो ने 21 अक्टूबर को गगनयान मिशन के क्रू ए स्कैप सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग की थी।  - दैनिक भास्कर

इसरो ने 21 अक्टूबर को गगनयान मिशन के क्रू ए स्कैप सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग की थी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2025 तक महिलाओं को अंतरिक्ष में ले जाने का काम कर रहा है। एजेंसी प्रमुख एस एस सोमनाथ ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा- हम देश के अंतरिक्ष मानव मिशन में महिला फाइटर जेट पायलट या साइंटिस्ट को परेशान करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि 2025 तक हम इंसान अंतरिक्ष में लैंडिंग वाला मिशन शुरू कर देंगे। हालाँकि यह सिर्फ 3 दिन का होगा। हम अगले साल भेजे जाने वाले जैसे मानव अनुपयोगी गगनयान मिशन में एक महिला मैमोरन ऑराइड (रोबोट जो मानव दिखता है) भी भेज रहे हैं।

सोमन ने आगे कहा कि एक ऑपरेशनल स्पेस स्टेशन बनाने की भी तैयारी है। हमारी कोशिश है कि हम 2035 तक इसे लॉन्च कर दें।

यह गगनयान के उड़ान परीक्षण के सामान एबॉर्ट मिशन-1 की तैयारी की तस्वीरें हैं।

यह गगनयान के उड़ान परीक्षण के सामान एबॉर्ट मिशन-1 की तैयारी की तस्वीरें हैं।

एक दिन पहले ज्ञान के क्रू ए स्क्रीनशॉट सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग हुई थी
इसरो ने 21 अक्टूबर को गगनयान मिशन के क्रू ए स्कैप सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग की थी। श्रीहरिकोटा के प्रशांत महासागर में अंतरिक्ष केंद्र का शुभारंभ किया गया। इसे टेस्ट एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) नाम दिया गया था।

ये मिशन 8.8 मिनट का था. इस मिशन में 17 किमी ऊपर जाने के बाद श्रीशनाथ अंतरिक्ष केंद्र से 10 किमी दूर बंगाल की खाड़ी में क्रूज़ मॉड्यूल को उतारा गया। रॉकेट में होने वाली गड़बड़ी पर मौजूद एस्ट्रोनॉट को पृथ्वी पर सुरक्षित बनाए रखने वाले सिस्टम की जांच की गई थी।

फ़्लाइट के परीक्षण में तीन भाग थे- एबॉर्ट मिशन के लिए सिंगल स्टेज डिज़ाइन, क्रू मॉड्यूल और क्रू ए स्केच सिस्टम बनाया गया। विकास इंजनों को संशोधित कर ये डिज़ाइन बनाया गया था। वहीं क्रूज़ फ्रेमवर्क के अंदर का माहौल अभी वैसा नहीं था जैसा मंड मिशन में होगा।

पहले दो बार टाला था मिशन
इससे पहले आज ही दो बार मिशन को टाला गया था। इसे 8 बजे लॉन्च किया गया था, लेकिन सीजन ठीक नहीं होने के कारण इसका समय 8.45 खराब हो गया। फिर लॉन्चिंग से 5 सेकंड पहले इंजन फायर नहीं मिला और मिशन पूरा हो गया। इसरो ने कुछ देर बाद दिमाग ठीक कर लिया।

रॉकेट को रात 8.45 बजे लॉन्च किया गया था, लेकिन इंजन में आग नहीं लगने के कारण रुक गया

रॉकेट को रात 8.45 बजे लॉन्च किया गया था, लेकिन इंजन में आग नहीं लगने के कारण रुक गया

श्रीहरिकोटा के अमरनाथ अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 10 बजे टेस्ट लॉन्च किया गया

श्रीहरिकोटा के अमरनाथ अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 10 बजे टेस्ट लॉन्च किया गया

सफल होने के बाद एक दूसरे को बधाई देते हुए इसरो वैज्ञानिक

सफल होने के बाद एक दूसरे को बधाई देते हुए इसरो वैज्ञानिक

17 किमी.  ऊपर क्रू एस्केप सिस्टम से क्रू फ्रेमवर्क अलग हो गया.. फिर पैराशूट खोला गया

17 किमी. ऊपर क्रू एस्केप सिस्टम से क्रू फ्रेमवर्क अलग हो गया.. फिर पैराशूट खोला गया

इसरो ने कहा कि पैराशूट का सही समय ओपन पर लागू किया गया था।

इसरो ने कहा कि पैराशूट का सही समय ओपन पर लागू किया गया था।

8.8 मिनट के बाद क्रूज़ आर्किटेक्चर आर्किटेक्चर स्पेस सेंटर से 10 किमी दूर पानी में उतरा

8.8 मिनट के बाद क्रूज़ आर्किटेक्चर आर्किटेक्चर स्पेस सेंटर से 10 किमी दूर पानी में उतरा

नेवी की यूनिट ने क्रू मैडल को बंगाल की खाड़ी से रिकवर कर लिया।

नेवी की यूनिट ने क्रू मैडल को बंगाल की खाड़ी से रिकवर कर लिया।

श्रीहरिकोटा के अमरनाथ अंतरिक्ष केंद्र पर खड़े परीक्षण सामान

श्रीहरिकोटा के अमरनाथ अंतरिक्ष केंद्र पर खड़े परीक्षण सामान

मिशन कंट्रोल रूम में बैठे इसरो के वैज्ञानिक।  अन्य इसरो सुपरहीरो एस सोमनोम से प्राप्त जानकारी

मिशन कंट्रोल रूम में बैठे इसरो के वैज्ञानिक। अन्य इसरो सुपरहीरो एस सोमनोम से प्राप्त जानकारी

श्रीहरिकोटा में श्रीहरिकोटा में लॉन्च की गई गैलरी में उपस्थित लोगों को देखने के लिए

श्रीहरिकोटा में श्रीहरिकोटा में लॉन्च की गई गैलरी में उपस्थित लोगों को देखने के लिए

मिशन कंट्रोल रूम में बैठे इसरो के वैज्ञानिक

मिशन कंट्रोल रूम में बैठे इसरो के वैज्ञानिक

परीक्षण में एबॉर्ट जैसा सिचुएशन बनाया गया

  • परीक्षण सहायक क्रूज़ मॉड्यूल ऊपर ले जाया गया। जब डिज़ाइन साउंड की स्पीड 1.2 गुना थी तो एबॉर्ट जैसा सिचुएशन बनाया गया। लगभग 17 किमी के पोर्टफोलियो पर क्रूज़ आर्किटेक्चर और क्रूज़ एस्केप सिस्टम अलग-अलग हो गए। क्रू मॉड्यूल को यहां से लगभग 2 किलोमीटर दूर ले जाया गया और श्रीहरिकोटा से 10 किलोमीटर दूर समुद्र में जमीन तक पहुंचाया गया।
  • इस मिशन में गैजेट ने यह परीक्षण किया कि एबॉर्ट ट्रैजेक्टरी ने क्या ठीक तरह से काम किया। असल मिशन के दौरान डिजाइन में शामिल एस्ट्रोनॉट पर कैसे सुरक्षित रूप से जमीन लेंगे इसका परीक्षण किया गया। मिशन परीक्षण के लिए कुल चार परीक्षण फ़्लैम जनरल जेनियाँ हैं। TV-D1 के बाद TV-D2, D3 और D4 को भेजा जाएगा।
  • अगले वर्ष की शुरुआत में गगनयान मिशन का पहला आनंदमांड मिशन प्रस्तावित किया गया है। आनंदमांड मिशन यानि इसमें किसी भी मानव को अंतरिक्ष में नहीं भेजा जाएगा। आनंदमांड मिशन के सफल होने के बाद मांड मिशन होगा, जिसमें मानव अंतरिक्ष में प्रवेश किया जाएगा। इसरो ने मांड मिशन के लिए साल 2025 की लाइन तय की है।

खबर में आगे बढ़ने से पहले तीन कहानियां… रैना पता चलता है कि किसी भी मन मिशन के लिए क्रू एस्केप सिस्टम की अहम जानकारी है:

1. उड़ान दोषसिद्धि के 73 सेकंड बाद विस्फोट, चालक दल के सभी सात टुकड़ियों की मृत्यु
28 जनवरी 1986 की सुबह काफी दिलचस्प थी। अमेरिका का अंतरिक्ष यान चैलेंजर अपने 10वें मिशन के लिए उड़ान भरने की तैयारी कर रहा था। मिशन कमांडर: फ्रांसिस स्कोबी, पायलट: माइकल स्मिथ, मिशन स्पेशलिस्ट: जूडिथ रेसनिक, रोनाल्ड मैकनेयर, एलिसन ओनिज़ुका, पेलोड स्पेशलिस्ट: ग्रेगरी जार्विस और स्टार क्रिस्टीना मैकऑलिफ़ को लेकर शटल ने सुबह 11:38 बजे उड़ान भरी।

उड़ान की विफलता के 73 सेकंड बाद विस्फोट हो गया, जिससे चालक दल के सभी सदस्य मारे गए। सॉलिड रॉकेट बूस्टर की रबर सील ओ-रिंग में आई खराबी के कारण हुआ ये हादसा। अत्यधिक ठंडे मौसम के कारण ये सील ख़राब हो गई थी। अंतरिक्ष यान में एक स्केच सिस्टम लॉन्च नहीं किया गया था, इसलिए सवार अंतरिक्ष यात्री पर चुनौती के दौरान इसे बाहर नहीं निकाला गया।

सॉलिड बूस्टर की रबर सील में आई मिसाइलों के कारण 7 एस्ट्रोनॉट्स की मौत हो गई थी

सॉलिड बूस्टर की रबर सील में आई मिसाइलों के कारण 7 एस्ट्रोनॉट्स की मौत हो गई थी

2. 48 सेकंड पहले लगी आग से ब्लास्ट, रिस्कयू सिस्टम ने किया विस्फोट
26 सितंबर 1983 को सोयुज टी-10-1 अंतरिक्षयान ले जा रहा सोयुज-यू रॉकेट में 48 सेकंड पहले विस्फोट हो गया। कॉमोनॉट व्लादिमीर टिटोव और गेनेडी स्ट्रेकालोव मौजूद थे जिनमें सैल्यूट स्पेस स्टेशन भी शामिल था। इस बैच में रेस्कयू सिस्टम एक्टिवेट हुआ और डिसेंट कैप्सूल क्रू को डिजाइन से दूर ले जाया गया। इस दौरान क्रू को 18जी तक की फोर्स एक्सपीरियंस हुई, लेकिन उनकी जान बच गई।

सोयुज टी-10ए क्रू-कमांडर व्लादिमीर टिटोव (बाएं) और फ़्लाइट इंजीनियर गेनाडी स्ट्रेकालोव

सोयुज टी-10ए क्रू-कमांडर व्लादिमीर टिटोव (बाएं) और फ़्लाइट इंजीनियर गेनाडी स्ट्रेकालोव

3. लिफ्ट ऑफ के क्लोज 2 मिनट बाद बिजनेस आई, क्रू एस्केप सिस्टम ने स्टेशन बनाया
11 अक्टूबर 2018 को सोयुज एमएस-10 रॉकेट रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस के कोमोनॉट एलेक्सी ओवचिनिन और अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा के एस्ट्रोनॉट निक हेग को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लेकर जा रही थी। फ़ेल्टर ऑफ़ के क्लोज़ के 2 मिनट बाद प्रथम चरण सेपरेशन के दौरान बूस्टर में कुछ परेशानी हुई। क्वांटम सिचुएशन में क्रू ए स्केच सिस्टम एक्टिवेट हुआ और एस्ट्रोनॉट्स पृथ्वी पर चले गए।

रोस्कोस्मोस के कॉमोनॉट एलेक्सी ओवचिनिन और नासा केनॉट एस्ट्रो निक हेग

रोस्कोस्मोस के कॉमोनॉट एलेक्सी ओवचिनिन और नासा केनॉट एस्ट्रो निक हेग

अब गगनयान मिशन के बारे में जानें…
गगनयान मिशन में तीन एस्ट्रोनॉट 400 किलोमीटर ऊपर जायेंगे

‘गगनयान’ के 3 दिवसीय मिशन के लिए 3 सदस्यीय दल पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर कक्षा में रवाना होंगे। इसके बाद क्रूज़ आर्किटेक्चर को समुद्र में लैंड लेआउट से सुरक्षित रूप से जोड़ा जाएगा। अगर भारत अपने मिशन में शामिल हो रहा है तो वो ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इसे पहले अमेरिका, चीन और रूस ने ऐसा कहा था।

  • 12 अप्रैल 1961 को सोवियत रूस के यूरी गागरिन 108 मिनट तक अंतरिक्ष में रहे।
  • 5 मई 1961 को अमेरिका के एलन शेफ़र्ड 15 मिनट अंतरिक्ष में रहे।
  • 15 अक्टूबर 2003 को चीन के यांग 21 घंटे अंतरिक्ष में रहे।
गगनयान मिशन में कुछ इस तरह से एस्ट्रोनॉट्स को LVM3 रॉकेट के जरिए पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा।

गगनयान मिशन में कुछ इस तरह से एस्ट्रोनॉट्स को LVM3 रॉकेट के जरिए पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा।

बेंगलुरु में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग सुविधा स्थापित की गई
इसरो इस मिशन के लिए चार एस्टोनोट्स को ट्रेनिंग दे रहा है। बेंगलुरु में स्थापित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में क्लासरूम ट्रेनिंग, ट्रेवल फिटनेस ट्रेनिंग, लैपटॉप ट्रेनिंग और फ्लोटिंग ट्रेनिंग ट्रेनिंग दी जा रही है।

पीएम मोदी ने 2018 में गगनयान मिशन की घोषणा की थी
साल 2018 में पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गगनयान मिशन की घोषणा की थी। 2022 तक इस मिशन को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालाँकि, COVID महामारी के कारण इसमें देरी हुई। अब 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत तक इसके पूरा होने की संभावना है। गगनयान मिशन के लिए करीब 90.23 अरब रुपये का बजट आवंटित किया गया है।

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